अफ़गानिस्तान में 20 साल तक अमेरिकी सैनिक जमे रहे, तालिबान ने अपने आपको इस दौरान कैसे बचाया, उन्होंने किस तरह अफ़ग़ा सेनान को शिकस्त देकर अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़ा कर लिया, ये सवाल अहम हैं।
तालिबान को 20 साल किसने ज़िंदा रखा, मज़बूती दी? जानिए तालिबान के शीर्ष के 4 नेताओं को जिन्होंने अमेरिकी सेना को न सिर्फ़ चुनौती दी बल्कि उन्हें वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया?
अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान के 9.5 बिलियन डॉलर रिजर्व को फ्रीज़ कर दिया है। यह कार्रवाई काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद की गई है ताकि तालिबान उस फंड तक पहुँच नहीं सके।
अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति अमारुल्ला सालेह रविवार को तालिबान के काबुल पहुँचने पर गायब हो गए थे, अब उसे चुनौती दे रहे हैं और ख़ुद को क़ानूनन कार्यवाहक राष्ट्रपति बता रहे हैं।
तालिबान के स्थानीय कमान्डर ने काबुल के करते परवान गुरुद्वारा जाकर वहां जमा अफ़ग़ान सिखों व हिन्दुओं से मुलाक़ात कर उन्हें सुरक्षा को लेकर आश्वस्त किया और कहा कि वे देश छोड़ कर न जाएं।
अफ़ग़ानिस्तान में उथल-पुथल है। तालिबान अब सत्ता में वापस लौट आया है। ऐसा लगता है कि अमेरिका ने काफ़ी पहले ही अफ़ग़ानिस्तान युद्ध में हार मान ली थी। वियतनाम युद्ध के बाद अफ़ग़ानिस्तान में एक और हार!
तालिबान ने काबुल पर क़ब्ज़ा किया नहीं कि चीन ने तुरन्त उसकी ओर दोस्ती और सहयोग का हाथ बढ़ा दिया। क्या वह अफ़ग़ानिस्तान के ज़रिए कज़ाख़स्तान, उज़बेकिस्तान, ताज़िकस्तान होते हुए यूरोप तक पहुँचना चाहता है?
भारत ने अगस्त महीने के अध्यक्ष होने के नाते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफ़ग़ानिस्तान पर हुई आपातकालीन बैठक बुलाई, लेकिन उसमें पाकिस्तान को नहीं न्योता। इसलामाबाद ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।