ताज़िक, उज़बेक, हज़ारा क़बीले के लोग एकजुट होकर नॉदर्न अलायंस जैसा संगठन बनाने की कोशिश में हैं, जो अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान को ज़बरदस्त चुनौती दे सके।
तालिबान के आतंकवादी संगठनों से संबंध की रिपोर्टें भी आती रही हैं। तालिबान ने दुनिया के सबसे वांछित व्यक्तियों में से एक ओसामा बिन लादेन को शरण दी थी। इसके बावजूद तालिबान अमेरिका की आतंकवादी संगठनों की सूची में क्यों नहीं है?
तालिबान का खौफ कैसा है यह अफ़ग़ानिस्तान के काबुल हवाई अड्डे पर दिखता है। माँ-बाप ही ऊँची दीवार और उस पर लगे कंटीले तारों के ऊपर से अपने बेटे-बेटियों को दूसरी ओर फेंक रहे हैं ताकि वे बच जाएँ!
ख़बर ये आ रही है कि अखुंदज़ादा पाकिस्तान की सेना की हिरासत में है। भारत सरकार को विदेशों की ख़ुफ़िया एजेंसियों से यह जानकारी मिली है और इस बारे में और ज़्यादा जानकारी जुटाई जा रही है।
जर्मनी के सरकारी प्रसारक ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान लड़ाकों ने 'ड्यूश वेले' यानी डीडब्ल्यू के पत्रकार के एक रिश्तेदार की गोली मारकर हत्या कर दी है। आतंकवादी उस पत्रकार की घर-घर तलाशी ले रहे थे, जो अब जर्मनी में काम करता है।
क्या अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था ऐसी है जिसे तालिबान संभाल सके? आर्थिक मदद पर निर्भर अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था कैसे चलेगी? अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान के ही 9.5 बिलियन डॉलर रिजर्व को फ्रीज कर दिया है।
तालिबान के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है, वह है पंजशिर प्रांत। पूरे मुल्क़ में यही एक प्रांत है, जहां पर तालिबान तो छोड़िए, सोवियत संघ से लेकर अमेरिका तब कब्जा नहीं कर पाए और इस बात के लिए पंजशिर की मिसाल दी जाती रही है।
पंजशिर के शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद तालिबान को चुनौती देने को तैयार हैं, उन्होंने दूसरे लोगों के साथ मिल कर 'सेकंड रेजिस्टेन्स' नामक मोर्चा बनाया है।
अफ़ग़ानिस्तान में लोगों ने राष्ट्रीय अफ़ग़ान झंडे के साथ प्रदर्शन किया है और तालिबान के झंडे को फाड़ दिया है। तालिबान लड़ाकों ने गोलियाँ चलाई हैं। कई लोग मारे गए हैं।
पाकिस्तानी सेना, सरकार और ख़ुफ़िया एजेन्सी आईएसआई ने जिस हक्क़ानी नेटवर्क को 20 साल से पाला पोसा है, उसके लोग ही अफ़ग़ानिस्तान में सरकार बनाने जा रहे हैं। मतलब साफ है।