उत्तर प्रदेश की खस्ताहाल क़ानून व्यवस्था चर्चा में है। प्रदेश के तमाम ज़िलों में हत्याएँ, बलात्कार, जातीय संघर्ष की ख़बरें आ रही हैं। हिंसा के शिकार ज़्यादातर दलित पिछड़े वर्ग के लोग बन रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि उन्हीं राज्यों में श्रमिकों को काम करने के लिए वापस भेजा जाएगा जो मज़दूरों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देंगे। क्या वह सच में मज़दूरों के लिए चिंतित हैं?
लॉकडाउन के कारण हज़ारों मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। इससे वंचित तबके को भयंकर नुक़सान हुआ है लेकिन बीजेपी समर्थक तबके पर कोई असर नहीं होगा।
शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण की इजाजत नहीं दी जा सकती। यह टिप्पणी अनुसूचित जनजातियों को 100 प्रतिशत आरक्षण देने के 20 साल पुराने फ़ैसले पर आई है।
अगर कृषि क्षेत्र में फ़सलों की समस्याओं का तत्काल समाधान न किया जाए, तैयार फ़सलों की कटाई न की जाए और उन्हें मंडी तक न पहुँचाया जाए तो फ़सलें ख़राब हो जाएँगी।
विश्व के तमाम देशों ने कोरोना से जूझने के लिए राहत पैकेज का एलान किया है। भारत सरकार ने भी कोविड-19 के कारण हुई देशबंदी से राहत देने के लिए 1,70,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है।
कोरोना को देखते हुए 21 दिन का लॉकडाउन/कर्फ्यू है। ऐसे में कंपनियों के साथ मज़दूर वर्ग और समाज के कमज़ोर तबक़े को इस दौरान आंशिक मदद पहुँचाने की कवायद में केंद्र व राज्य सरकारों ने कई घोषणाएँ की हैं। ये कितनी कारगर होंगी?
कोरोना वायरस का गाँवों पर क्या असर होगा? अगर गाँव के लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है तो क़रीब 24.9 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं, जिन्हें क़र्ज़ लेना पड़ जाता है।
बिहार में कुछ महीने बाद चुनाव होने वाले हैं। राज्य में फ़िलहाल दो गठबंधनों के इर्द गिर्द चुनाव घूम रहा है, लेकिन जनता दल यूनाइडेट यानी जदयू नेता नीतीश कुमार इस बार ज़्यादा परेशान नज़र आ रहे हैं।
भारत में दूध एवं दुग्ध उत्पादों का आयात एक बार फिर चर्चा में है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का स्वागत करने जा रहे भारत पर अमेरिका से डेयरी उत्पादों के आयात को लेकर दबाव है।
राजस्थान के नागौर ज़िले में दलितों की पिटाई का जो वीडियो सामने आया है, उसे देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि भारत की क़रीब 20 प्रतिशत आबादी भी 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुई थी।
केरल के सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश को लेकर न्यायालय में चल रही बहस के बीच सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि किसी व्यक्ति का मंदिर में प्रवेश पूरी तरह अप्रतिबंधित नहीं है। यह तर्क क्या सही है?
केजरीवाल से लोगों को उम्मीद थी कि वह आरक्षण, नागरिकता क़ानून, जामिया, जेएनयू के छात्रों पर लाठीचार्ज जैसे मसलों पर बोलेंगे लेकिन उन्होंने इनमें से किसी भी मसले पर बात नहीं की।
उच्चतम न्यायालय का फ़ैसला यह कहता दिख रहा है कि विधानसभा या संसद कुछ भी कहें, सरकार को ही अंतिम फ़ैसला करना है कि उसे क्या करना है और क्या नहीं करना है।
गाँधी की मृत्यु के बाद सरदार पटेल के सीने पर गाँधी की हत्या का बोझ बना रहा। गाँधी के जाने के महज एक महीने बाद 5 मार्च 1948 को पटेल के सीने में दर्द उभरा।
सरदार पटेल और नेहरू के बीच जितने मतभेद थे, उससे कई गुना बढ़ा कर पेश किया जा रहा था, जिससे दोनों ही परेशान थे। गाँधी की मृत्यु के बाद दोनों लिपट कर रोए और उसके साथ ही तमाम मतभेद भी मिट गए।