1990 में और उसके बाद हज़ारों कश्मीरी पंडित परिवारों को घाटी से भागना पड़ा। वहाँ ऐसे हालात क्यों पैदा हुए और उनके पीछे 1987 की चुनावी धाँधलियों का क्या रोल था?
भारत में गांवों में आबादी लगातार घटती जा रही है और तेजी से शहरीकरण हो रहा है। यह संविधान की भावना के विपरीत तो है ही इससे गण और तंत्र के बीच की खाई लगातार गहरी होती जा रही है।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर उत्तर भारत की राजनीति के ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने बहुत कम समय सत्ता में रहते सामाजिक क्रांति की नींव रख दी थी।
‘द इकोनॉमिस्ट ग्रुप’ की इकोनॉमिक इंटेलिजेंस यूनिट की ओर से जारी लोकतंत्र सूचकांक 2019 की वह वैश्विक सूची, जिसमें भारत पिछले वर्ष के मुक़ाबले 10 पायदान लुढ़क कर 51वें स्थान पर जा गिरा है।
नसीरूद्दीन शाह ने अनुपम खेर को चापलूस बताया था, अब खेर ने इस पर पलटवार किया है। शाह ने फ़िल्मों के माध्यम से एक अलग तरह का पॉलिटिकल नैरेटिव थोपने की बात कही थी।
ऑक्सफ़ैम की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत के एक प्रतिशत अमीरों के पास देश के 70 प्रतिशत लोगों से ज्यादा पैसा है। सारी दुनिया के हिसाब से देखें तो हाल और भी बुरा है।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद लगे प्रतिबंंधों के कारण हालात बेहद ख़राब हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी सभी जगह इंटरनेट चालू नहीं हुआ है।
'छत्रपति शिवाजी' के नाम से जुड़ा ताज़ा विवाद छिड़ा एक ऐसी पुस्तक को लेकर जिसका शीर्षक है 'आज के शिवाजी- नरेंद्र मोदी'। छत्रपति की मोदी से तुलना क्यों? क्या शिवाजी को मुसलमानों से नफ़रत थी?
दिल्ली पुलिस की लगातार धमकियों के बावजूद शाहीन बाग़ में भीड़ कम नहीं हो रही है बल्कि बढ़ती चली जा रही है। यह देश का अभूतपूर्व आंदोलन है, सदियाँ इसे याद रखेंगी।