शिखर बैठक के दौरान नरेन्द्र मोदी ने अपने सार्वजनिक बयान में कहा कि दोनों देश एक-दूसरे की चिंताओं का ध्यान रखें लेकिन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ऐसा कोई भरोसा नहीं दिया।
शी ने भारत आने से पहले इमरान ख़ान से मुलाक़ात के बाद यह कह कर क्यों भारत को ह्युमिलिएट करने का काम किया कि चीन ‘पाकिस्तान के कोर मुद्दों पर उसके साथ पूरी शिद्दत से खड़ा है’?
अगर हम अपनी राजनीतिक और संवैधानिक संस्थाओं के मौजूदा स्वरूप और संचालन संबंधी व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें तो हम पाते हैं कि आज देश आपातकाल से भी कहीं ज़्यादा बुरे दौर से गुज़र रहा है।
गाँधीजी ने वकालत के पेशे से जुड़ी उलझनों और चुनौतियों का कैसे सामना किया जिसके बारे में उन्होंने ख़ुद सुन रखा था कि वह झूठ के गोरखधंधे के बिना नहीं चल सकता?
गाँधीजी की डेढ़ सौवीं जयंती पर कई देखी-सुनी-पढ़ी बातें याद आयीं। सारी बातें और प्रसंग अत्यंत निकट और आसपास के लोगों से जुड़े हुए हैं, गाँधीजी काफ़ी आत्मीय थे।