अमेरिका में इस पर बहस छिड़ी हुई है कि क्या कोरोना टीका और मास्क को अनिवार्य करना ठीक है। रिपब्लिकन पार्टी का कहना है कि यह निजी पसंद पर छोड़ दिया जाना चाहिए।
अफ़ग़ानिस्तान की हुकूमत पर काबिज होने के लिए तालिबान जब तेज़ी से क़दम बढ़ा रहा था तभी से यह सवाल सबके मन में था कि क्या तालिबान इस अजेय किले को इस बार भेद पाएगा।
23 जुलाई को जो बाइडन और अशरफ़ ग़नी के बीच टेलीफ़ोन पर बातचीत हुई, जिसमें अफ़ग़ान राष्ट्रपति ने कहा कि पाकिस्तान हज़ारों अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों को अफ़ग़ानिस्तान भेज रहा है।
एक दिलचस्प घटनाक्रम में रूस और चीन ने उस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव से दूरी बना ली, जिसमें अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का नियंत्रण मान लिया गया है। क्या है मामला?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप जैसे नेताओं की आलोचनाओं के बाद मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी फौज़ों की वापसी के अपने फ़ैसले की खुद से ही जमकर तारीफ़ की है। जानिए उन्होंने क्या-क्या कहा...
तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर तो कब्जा कर लिया, लेकिन क्या अब उनकी आगे की राह आसान है? वे भूखमरी, ग़रीबी, आर्थिक संकट जैसी चुनौतियों का सामने कैसे करेंगे?
2001 में अफ़ग़ानिस्तान की सरज़मीं पर पांव रखने वाले अमेरिका ने सोमवार की रात को इस मुल्क़ को पूरी तरह छोड़ दिया। इसके बाद तालिबानियों ने जमकर फ़ायरिंग की और जश्न मनाया।
अमेरिकी सेना की अफ़ग़ानिस्तान से वापसी से पहले अमेरिका द्वारा इसलामिक स्टेट खुरासान को निशाना बनाकर रविवार को किए गए ड्रोन हमले में आम अफ़ग़ान नागरिकों के मारे जाने की ख़बर है। दावा किया गया है कि एक परिवार के 10 लोग मारे गए हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान से उसके आख़िरी सैनिक भी लौट गए हैं और उसका 20 साल पहले उस देश में शुरू हुआ अभियान अब ख़त्म हो गया है।
इसलामिक स्टेट खुरासान का मक़सद पहले मध्य पूर्व और उसके बाद भारत में इसलामी ख़िलाफ़त की स्थापना करना है। पर क्या होता है इसलामी ख़िलाफ़त? पढ़े प्रमोद मल्लिक का यह लेख।
अमेरिका ने रविवार को काबुल स्थित इसलामिक स्टेट खुरासान के ठिकाने पर ड्रोन से मिसाइल हमला किया। अमेरिका ने पहले ही चेतावनी देकर कहा था कि इसलामिक स्टेट एक बार फिर काबुल में कहीं हमला कर सकता है।
भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक बयान में 'तालिबान' शब्द हटा दिया है। इससे संयुक्त राष्ट्र और भारत के रवैए में बदलाव का संकेत मिल रहा है।