देश अपना काम करेगा। पर क्या देश के नेता राजनीति करने से बाज़ आएँगे? हमारा बहादुर जवान विंग कमांडर अभिनंदन जब पाकिस्तान की गिरफ़्त में थे तब नेता बेशर्मी की सारी हदें पार कर रहे थे।
सन 1831 में बालाकोट में महाराजा रणजीत सिंह के सिख लड़ाकों ने सैयद अहमद बरेलवी समेत 300 से ज़्यादा मुजाहिदीन हलाक कर दिये थे। सैयद अहमद बरेलवी शुरुआती वहाबी जिहादी थे।
सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक 2 की गई। अभी तो खेल शुरू हुआ है। अगर पाकिस्तानी कुछ और बेवक़ूफ़ी करते हैं तो दूसरे मोर्चे पर पूर्ण युद्ध की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
मेरी पहली प्रतिक्रिया उन तसवीरों को देखकर यही है, जिनमें प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी इलाहाबाद के कुम्भ में 5 सफ़ाई कर्मचारियों के पैर धो रहे रहे हैं। मेरा सवाल है कि मोदी जी ने 5 ही सफ़ाई कर्मियों के क्यों पैर धोए?
सफ़ाईकर्मी को पाँव नहीं धुलवाने हैं, उसे उनके पेशे से जुड़ी सुविधा चाहिए, नज़रिया साफ़ करिए, पाँव ख़ुद साफ़ हो जाएँगे लेकिन इसके लिए ख़ुद के पाँव ज़मीन पर रखने होंगे।
पुलवामा हमले में भारतीय ख़ुफ़िया-तंत्र की विफलता पर कोई सवाल न उठाकर, कश्मीरियों को इसका ज़िम्मेदार क्यों माना जा रहा है? उन्हें मार-पीट कर खदेड़े जाने की घटनाएँ क्यों हो रही हैं?
इस समय भारत ही नहीं, ईरान और अफ़ग़ानिस्तान के भी ग़ुस्से का शिकार कौन हो रहा है- पाकिस्तान। ईरान के 27 फ़ौजी जवानों को पाक आधारित आतंकी गिरोह ने मार डाला है।
पाक प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को आतंक के सौदागरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी होगी। मसूद अज़हर को भारत को सौंपना होगा, सीमा से लगे आतंकवादी कैंपों को बंद करना होगा।
मोदी राज में आतंकी हमलों, शहीद सैनिक और नागरिकों, आतंकवाद की राह पर जाने वाले युवाओं की संख्या बढ़ी है। पहले की सरकारों की तुलना में मोदी सरकार कश्मीर मोर्चे पर नाकाम रही है।
मोदी सरकार के दौरान रेलवे में सवा लाख लोगों को नौकरी मिलने की बात झूठ है। जिन बच्चों ने रेलवे की भर्ती परीक्षा पास कर ली, उन्हें अब तक ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिल पाया है।