धारा 370 ख़त्म करने की माँग बीच-बीच में उठती रही है। क्या यह मुमकिन है और यदि मुमकिन है भी तो क्या व्यवहारिक है? चुनाव के ठीक पहले इस बहस के क्या मायने हैं?
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का दंभ भरने वाले हमारे देश में लोकतंत्र की जड़ें कितनी गहरी हैं इस बात का अंदाज़ा चुनाव पूर्व के दो महीनों में लगाया जा सकता है। दलों के बीच लड़ाई जाति-धर्म-कुल-गोत्र और क्षेत्र में उलझकर रह गई है।
राहुल गाँधी अमेठी के साथ केरल की वायनाड लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी के तमाम नेता कह रहे हैं कि राहुल अमेठी में स्मृति ईरानी के मुक़ाबले अपनी हार से डर गए हैं। तो क्या सच में राहुल डर गये हैं?
बिहार में मृत प्राय हो चुकी सीपीआई को इस बार कन्हैया कुमार से काफ़ी उम्मीदें दिख रही हैं। क्या जेएनयू का यह पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष पार्टी को पुनर्जीवित कर पाएगा?
चुनाव जैसे जैसे नज़दीक आता जा रहा है, उत्तर प्रदेश में तमाम पार्टियों में बग़ावत, असंतोष बढ़ता जा रहा है, पार्टियां उम्मीदवारों को ताश के पत्तों की तरह फेंट रही हैं।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ़ से ज़्यादातर सीटों पर उम्मीदवार उतारे जा चुके हैं। उसके उम्मीदवारों की लिस्ट को देखते हुए लगता है कि इस लोकसभा में बीजेपी पूरी तरह मुसलिम मुक्त होगी।
बीजेपी के कई ऐसे दिग्गज नेता हैं जो वर्षों तक पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते रहे और संगठन से लेकर सरकार में कई बड़े पदों पर रहे। लेकिन इस बार वे चुनावी समर से बाहर हैं।
एक दिन पहले ही सपना के कांग्रेस में शामिल होने की ख़बर आयी थी, लेकिन अब उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने की ख़बर को ही ख़ारिज़ कर दिया है। कांग्रेस ने भी सबूत पेश कर दावा किया कि वह झूठ बोल रही हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने सही समय पर हस्तक्षेप कर बीजेपी के सर्जिकल स्ट्राइक से पार्टी को बचा लिया और जितिन प्रसाद ने पार्टी नहीं छोड़ी, पर जितिन अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर दुविधा में हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान दिवस के बहाने कांग्रेस पर चोट करते हैं और ख़ुद पाक को शुभकामना संदेश भेजते हैं। लगता है, सरकार पाकिस्तान नीति पर कन्फ़्यूज़्ड है।
यह माना जा रहा था कि राष्ट्रीय जनता दल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के लिए बेगूसराय की सीट सीपीआई के दे देगा, पर ऐसा नहीं हुआ।